72 साल पहले बनी हिन्दी राजभाषा … जानिए क्यों मनाया जाता है “हिंदी दिवस”
“आज, हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते, समझते और पढ़ते हैं।”
दुनिया में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक भाषा हिंदी है यह दुनियाभर में तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा बोली जाती है। वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज में यह बताया गया है कि पूरी दुनिया में करीब 61.5 करोड़ लोग हिंदी भाषा का उच्चारण करते हैं। हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है। हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है।
भारत में अनेक बोलियाँ बोली जाती है। ऐसे में राजभाषा क्या होगी ये तय करना एक बड़ी चुनौती थी। हिन्दी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था।
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शुरुआत
सन 1949 में 14 सितम्बर के दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार कर लिया था। हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में पहचान दिलाने के लिए उस समय प्रमुख हिंदी लेखक और कई बड़े नेताओं जैसे हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को यह संविधान का हिस्सा बन गई। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 सितंबर के दिन ‘हिंदी दिवस’ मनाने का फैसला लिया था। देश में पहला हिंदी दिवस साल 1953 में मनाया गया था।
उद्देश्य
आजादी से पहले भारत में सभी सरकारी कामकाज अंग्रेजी भाषा में हुआ करते थे, देश की आजादी के बाद लोगों के बीच हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया गया। 14 सितंबर के दिन देश के नागरिकों को यह समझाने का प्रयास किया जाता है कि जब तक वह हिंदी को पूरी तरह से नहीं अपनाएंगे, तब तक इसका विकास होना संभव नहीं है।
इस दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जो वर्ष भर हिन्दी में अच्छे विकास कार्य करता है साथ ही अपने कार्य में हिन्दी का अच्छी तरह से उपयोग करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है.
पुरस्कार
हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने हेतु पुरस्कार समारोह भी आयोजित किया जाता है। जिसमें कार्य के दौरान अच्छी हिन्दी का उपयोग करने वाले को यह पुरस्कार दिया जाता है। यह पहले राजनेताओं के नाम पर था, जिसे बाद में बदल कर राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया। राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार लोगों को दिया जाता है जबकि राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग, समिति आदि को दिया जाता है |